प्रयागराज। तीर्थ राज प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ में संगम तीरे तम्बुओं की नगरी आबाद है।जिससे यहां आस्था का जन सैलाब उमड़ा है।आस्था से सराबोर ऐसी अपार भीड़ यहां के निवासियों ने पहले नहीं देखी।मेहमानों को परेशान देख कर तीर्थराज प्रयागराज के निवासियों ने आगे बढ़ कर मानवता की सेवा की।दरअसल मानवता इंसान का सिर्फ एक अच्छा गुण ही नहीं बल्कि उसका धर्म ही होता है।सभी धर्मों में मानव सेवा को ईश्वर की सेवा बताया गया है।इंसानियत की भावना और आमजन की सेवा का भाव हो तो कोई कैसे मानवता की सेवा से पीछे हट सकता है।फिर सेवा करने का माध्यम कोई भी हो।प्रयागराज में इस बार मानवता के आगे धर्म की सीमाएं टूट गई।श्रृद्धालुओं के लिए न केवल स्कूल, खुले वरन लोगों ने अपने संस्थान खोल दिए।अपने स्तर पर शहर के यादगार हुसैनी इंटर कॉलेज, अनवर मार्केट, इबादतगाह, अपने बरामदे सब खोल दिया।चाय, पानी के साथ अल्पाहार,हल्का भोजन आदि की व्यवस्था की।सच इंसान, इंसान के काम आया। तमाम मुस्लिम भाइयों का कहना है कि प्रयागराज आये श्रृद्धालु हम सब के मेहमान हैं,इस लिए हमें मेहमाननवाजी की मिसाल पेश करनी चाहिए।तीस जनवरी को मुस्लिम भाइयों का भंडारा सुबह से देर रात चला।जिसे इंटरनेशनल मीडिया बीबीसी ने भी कवर किया। शलोगों ने अपने घरों के बाथरूम तक खोल दिए थे।दरअसल महाकुंभ 2025 के दौरान, मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई,जिससे श्रद्धालु प्रभावित हुए।
आखिर इंसान, इंसान के काम आया
इस कठिन समय में, स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करते हुए हिंदू श्रद्धालुओं की सहायता के लिए आगे आए। उन्होंने मस्जिदों, दरगाहों, इमामबाड़ों और अपने घरों के दरवाजे खोलकर लगभग 25,000 से 26,000 श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन, चाय-पानी और दवाओं की व्यवस्था की। इसके अतिरिक्त, मुस्लिम समुदाय ने विशेष लंगर आयोजित कर श्रद्धालुओं को भोजन कराया और ठंड से बचाने के लिए लगभग 2,500 कंबल भी वितरित किए। उन्होंने श्रद्धालुओं को रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तक पहुंचाने में भी मदद की। इस मानवीय पहल की सराहना करते हुए, कई श्रद्धालुओं ने इसे मानवता की सच्ची मिसाल बताया।मस्जिदों और दरगाहों से लेकर तमाम मदरसों में भी श्रद्धालुओ को ठहराया गया।यहां उनके लिए खाने-पीने के साथ ही ठहरने और बिस्तर के भी इंतजाम किए गए।रास्तों और सीढ़ियों से लेकर अंदर की उन जगहों पर भी श्रद्धालुओं को ठहराया गया, जहां रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है।शहर की सबसे बड़ी मस्जिद कहीं जाने वाली चौक इलाके की जामा मस्जिद, खुल्दाबाद इलाके की शाही मस्जिद, डफरिन अस्पताल के सामने की मस्जिद, रोशन बाग इलाके की मस्जिद के साथ ही तीन दर्जन से ज्यादा मस्जिदों – मदरसों और दरगाहों को तीन से चार दिनों तक आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था।इतना ही नहीं प्रयागराज में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कई जगहों पर महाकुंभ के लिए आए श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत व अभिनंदन किया।कुछ जगहों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने श्रद्धालुओं को अंग वस्त्रम भेंट कर उनका अभिनंदन किया।बहरहाल संगम नगरी की इबादत ग़ाहों में महाकुंभ के श्रद्धालुओं को ठहराकर उनका स्वागत व सत्कार किए जाने के मामले ना सिर्फ सुर्खियों में हैं बल्कि लोगों का दिल भी जीत रहे हैं। इलाहाबाद से कई ऐसे कई विडियोज और तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा कितना गहरा है। 28-29 जनवरी की दरमियानी रात जब मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में भगदड़ मची ये वो वक्त था जब श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। जो जहां तक पहुंचा था, उसे वहीं रोका गया। ऐसे में 29 जनवरी को जनसेनगंज रोड समेत 10 से ज्यादा इलाकों के मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाया।25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए मस्जिद, मजार, दरगाह, इमामबाड़े और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए।मेला क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर खुलदाबाद सब्जी मंडी मस्जिद, बड़ा ताजिया इमामबाड़ा, हिम्मतगंज दरगाह और चौक मस्जिद में लोगों को ठहराया।
(शाहिद नकवी) UP HEAD
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