Rewa Today Desk : उत्तराखंड सरकार ने राज्य की संस्कृति और प्राकृतिक संपदा की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक भूमि कानून पास किया है। अब उत्तराखंड के 11 पहाड़ी जिलों में राज्य से बाहर के व्यक्ति कृषि या बागवानी भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
किन जिलों में लागू हुआ प्रतिबंध?
नया भूमि कानून इन जिलों में बाहरी लोगों को कृषि भूमि खरीदने से रोकता है:
- देहरादून
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- पौड़ी गढ़वाल
- टिहरी गढ़वाल
- चमोली
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
- बागेश्वर
- चंपावत
- उत्तरकाशी
हरिद्वार और उधम सिंह नगर इस प्रतिबंध से बाहर हैं — यानी इन जिलों में गैर-स्थानीय व्यक्ति अब भी भूमि खरीद सकते हैं।
सरकार का मकसद क्या है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को “जनभावनाओं का सम्मान” बताया। उनका कहना है कि इस कानून से बाहरी अतिक्रमण रुकेगा और राज्य की मूल पहचान और पारंपरिक जीवनशैली को संरक्षित किया जा सकेगा।
भूमि कानून की मुख्य बातें
- सरकारी मंजूरी अनिवार्य: अब ज़मीन की खरीद राज्य सरकार की स्वीकृति से ही हो सकेगी।
- 12.5 एकड़ सीमा लागू: गैर-स्थानीय कोई भी व्यक्ति अधिकतम 12.5 एकड़ ही खरीद सकता है।
- ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी: भूमि लेन-देन अब एक सरकारी पोर्टल पर रिकॉर्ड किया जाएगा।
- गलत उपयोग पर ज़ब्ती: भूमि का तय उद्देश्य से अलग उपयोग होने पर सरकार उसे जब्त कर सकती है।
विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून पर पर्याप्त बहस नहीं हुई। वे मानते हैं कि इससे हरिद्वार और उधम सिंह नगर में ज़मीन की कीमतें तेज़ी से बढ़ सकती हैं और एक नया असंतुलन पैदा हो सकता है।
निवेशकों और आम जनता के लिए प्रभाव
- बाहरी निवेशक: अब उन्हें अधिक प्रक्रियाओं और सरकारी अनुमति से गुजरना होगा।
- स्थानीय लोग: इस कदम को अपनी ज़मीन और रोजगार की सुरक्षा के रूप में देख रहे हैं।
उत्तराखंड का नया भूमि कानून राज्य की सुरक्षा, संस्कृति और पारिस्थितिकी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह फैसला स्थानीय जनता के हितों को प्राथमिकता देता है, लेकिन साथ ही यह देखना बाकी है कि इसका दीर्घकालिक असर राज्य के आर्थिक विकास और निवेश पर कैसा पड़ेगा।
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