Rewa Today Desk : आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, के साथ हो रहे सौतेला व्यवहार के विरोध में जंतर-मंतर मैदान दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका के अनिश्चितकालीन अनशन में देश के सभी प्रदेशों से पहुॅच रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उनका कहना है सहायिका बहनो की मांग जायज है. इस मांग को केन्द्र सरकार को मानना चाहिए। उक्त विभाग 48वर्ष पूर्व खोला गया था ।
जिसमें कई बैच रिटायर हो चुके है. और उन्हें जीविकोपार्जन करने के लिए न तो फन्ड दिया गया और न ही पेंशन योजना में जोड़ा गया है. पेंशन होने के वाद दैनिक मजदूरी करना पड़ता है।इस देश में केवल यहीं विभाग है जो 48वर्ष से नियमित नहीं हुआ। इससे साफ जाहिर होता है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन वहुत कमजोर है. जिस कारण से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका नियमित नहीं हो सकी. आज गांधी जयंती है, और देश में धूम धाम से मनाई जाती है। गांधी जयंती के पावन पर्व पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका दिल्ली के जंतर-मंतर मैदान में भूखी प्यासी अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से बैठी है और उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
इनकी नियुक्ति अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने वाली महिलाओं कि नियुक्ति की जाती है।और इनकी जिंदगी केन्द्र सरकार व्दारा वरवाद की जाती है।48वर्ष से चल रहा विभाग को सिविल सेवा अधिनियम में नहीं जोड़ा गया है।जिस कारण से नियमित नहीं हो सकी है। केन्द्र और राज्य दोनों सरकार के वीच में फंसीं है, जिस कारण से नियमित नहीं हो सकती है। क्योंकि वघेल खण्ड में एक कहावत है।कि साझे का पिता किराय के मरा । यानी केन्द्र की संस्था है कि राज्य की संस्था है ।
पहले तो सरकार को इस मुद्दे पर निर्णय करना चाहिए।आधा वेतन केन्द्र देता है और आधा वेतन राज्यों व्दारा दिया जाता है।ये वहुत वडी विसंगति है जिसे शीघ्र। दूर करते हुए । आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका को नियमित कर पेंशन योजना से जोड़ा जाय
। गांधी जयंती को केन्द्र सरकार व्दारा नियमित करने का आदेश दिया जाता है तो आने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका की पीढ़ी नियमित होने के यादगार में मनाई जाएगी.
Anganwadi workers from all the states of the country are on indefinite fast in Jantar Mantar Ground, Delhi, in protest against the step-motherly treatment being meted out to the Anganwadi workers and assistants
They say that the demand of the assistant sisters is justified. The Central Government should accept this demand. The said department was opened 48 years ago. In which many batches have retired. And they have neither been given funds to earn a living nor have been included in the pension scheme. In order to get pension, one has to work as a daily wage. This is the only department in this country which has not been regularized for 48 years. This clearly shows that the Anganwadi worker assistant union is very weak. Due to which the Anganwadi worker assistant could not become regular. Today is Gandhi Jayanti, and it is celebrated with great pomp in the country. On the holy festival of Gandhi Jayanti, Anganwadi worker Sahayika has been sitting hungry and thirsty for several days in Delhi’s Jantar Mantar ground demanding her demands and her life is being played with. Women who score maximum marks are appointed for their appointment. And their lives are blessed by the Central Government. The department which has been running for 48 years has not been included in the Civil Services Act. Due to which it has not been regularized. . Both the Central and State governments are stuck in between, due to which regularization cannot happen. Because there is a saying in Vaghel Khand that the partner’s father died on rent. That is, is it a central institution or a state institution? First of all, the government should take a decision on this issue. Half the salary is given by the Center and half the salary is given by the states. This is a huge discrepancy which should be resolved soon. By removing. Anganwadi worker assistants should be regularized and linked to the pension scheme.
, If Gandhi Jayanti is ordered to be regularized by the Central Government, then it will be celebrated to commemorate the coming generation of Anganwadi worker assistants being regularized.
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