रीवा। प्रधानमंत्री उत्कृष्ट महाविद्यालय शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बालाघाट (म.प्र.) में आयोजित “भारतीय ज्ञान परंपरा में गणित” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान प्रोफेसर डॉ. दिनकर प्रसाद शुक्ला को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
डॉ. शुक्ला, जो प्रधानमंत्री उत्कृष्ट शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, रीवा के गणित और कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं, ने इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी भूमिका निभाई। साथ ही, उन्होंने अपने आमंत्रित शोध पत्र को प्रस्तुत किया, जो भारतीय गणितीय परंपरा और आधुनिक विज्ञान के बीच गहरे संबंधों को उजागर करता है।

डॉ. डी.पी. शुक्ला: गणित शिक्षा में अग्रणी योगदान
डॉ. दिनकर प्रसाद शुक्ला भारतीय गणितीय परंपरा को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों से जोड़ने के अपने अभिनव दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गणितीय अवधारणाओं के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
गणितीय परंपरा का पुनर्जीवन: डॉ. शुक्ला ने भारतीय ज्ञान परंपरा में गणित की समृद्धि को आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाने के लिए कई शोध किए हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता: उन्होंने कई संगोष्ठियों और वेबिनार में हिस्सा लेकर गणित की शिक्षा में नए आयाम जोड़े हैं।
प्रकाशित शोध पत्र: उनके शोध पत्र गणित की भारतीय परंपरा और आधुनिक वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के बीच की कड़ी को स्पष्ट करते हैं।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्मान
बालाघाट में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान डॉ. शुक्ला को उनकी अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए विशेष सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उनके द्वारा गणित के क्षेत्र में किए गए शोध और शिक्षण कार्यों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
भारतीय गणित परंपरा को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास
डॉ. शुक्ला का मानना है कि भारतीय गणितीय परंपरा में छिपे ज्ञान को आधुनिक शिक्षा और अनुसंधान में शामिल करना आवश्यक है। उनका यह दृष्टिकोण गणितीय शिक्षा को और अधिक समृद्ध और प्रासंगिक बनाता है।
यह सम्मान न केवल डॉ. शुक्ला की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय गणितीय परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
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