चुनाव आयोग का डंडा.. न दिख रहा बैनर, न दिख रही झंडा पहले जैसे आकर्षक नहीं हो रहे चुनाव, केवल मिले जुले जनसंपर्क तक सीमित रह गया है प्रचार
Rewa Today Desk : रीवा मे चुनाव आयोग की सख्ती विधानसभा चुनावों में देखने को मिलने लगी है। एक दशक पहले जब चुनाव होते थे तो 15 दिन पहले से ही शहर के गली मोहल्ले में और गांव की गलियों में यह लगने लगता था कि हां भाई चुनाव हो रहा है। लेकिन पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन के जमाने से जो बदलाव शुरू हुआ तो लगातार बदलाव का दौर और तेज होता गया। अब प्रचार की गतिविधियां केवल जनसंपर्क तक ही सीमित रह गई हैं। न गलियों में एक छोर से दूसरे छोर तक छोटे पोस्टरों के चिपकाने का प्रचलन रह गया है और न ही घरों में लगाने वाले झंडे। प्रचार करने वाले भी यह नहीं समझ पाते कि कौन हमारे साथ है कौन विरोधी के साथ। चुनाव आयोग की नित् नए निर्देशों से प्रत्याशी भी कुछ हद तक परेशान हो जाते हैं।
उन्हें इतनी हिदायतें दी जाती है कि वह बार-बार आयोग की दिशा निर्देश ही पढ़ते रह जाते हैं। कोई आदमी 50000 से ज्यादा रुपया लेकर नहीं चल सकता, अगर फस गया तो उसकी खैर नहीं। प्रत्याशी भी ज्यादा पैसा लेकर नहीं चल सकता क्योंकि जगह-जगह पुलिस की जांच चल रही है। चुनाव आयोग की सख्ती से प्रत्याशी और उनके समर्थकों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। लेकिन चुनाव प्रचार अभियान सबका जारी है। चुनाव के समय ही नजर आता है प्रशासन किस तरीके से काम करता है किस तरीके से कड़ाई से नियम कानून का पालन करता है. अगर ऐसा साल के 12 महीना होने लगे तो नजारा ही बिल्कुल बदल जाए.
Leave a comment