Rewa Today Desk : बात 29 जुलाई 2022 की है, जमीन का एक मामला रीवा के कलेक्ट्रेट स्थित हुजूर एसडीएम की अदालत से निकलकर बाहर आया. जिसमें उस समय पदस्थ रहे, एसडीएम अनुराग तिवारी के फर्जी हस्ताक्षर थे. यह बात एसडीम अनुराग तिवारी को पता ही नहीं चली मामला उनके रीडर से जुड़ा हुआ था, उस पर शक नहीं किया जा सकता था. लेकिन यह मामला पकड़ लिया, तहसीलदार हुजूर शिव शंकर ने. जब उनके पास एक फाइल आई जिसमें एक सरकारी जमीन को निजी करने की बात कही गई थी. तहसीलदार शिव शंकर का कहना है, बात चौंकाने वाली थी. आमतौर पर एसडीएम का काम होता है, सरकारी जमीन की रक्षा करना, लेकिन यहां पर मामला उलटा था. इसलिए फाइल पर थोड़ा ज्यादा ही गंभीरता से नजर डाली गई, तो पहली ही नजर में पूरा मामला निकलकर सामने आ गया, और मामला पुलिस तक पहुंच गया. एसडीएम अनुराग तिवारी के हस्ताक्षर फर्जी थे, रीवा एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर करने वाले उनके रीडर और जमीन मालिक पर सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज कर लिया गया.
क्या है पूरा मामला
रमाशंकर तिवारी और उनके परिजनों के पास किसी जमाने में बहुत जमीन हुआ करती थी, 1970 में देश में सीलिंग एक्ट लागू हुआ था. सीलिंग एक्ट में साफ तौर से उल्लेख था, एक सीमा से बाहर किसी के पास जमीन नहीं हो सकती. जिसके चलते रमाशंकर तिवारी और उनके परिवार के पास जो भी जमीन थी, एक सीमा के बाहर उसे सरकार ने सरकारी घोषित कर दिया था. बदलते वक्त के साथ जमीन कौड़ियों के दाम से आसमान को छूने की तरफ बढ़ गई. आज वह जमीन करोड़ की है. रमाशंकर को लालच आ गया, रमाशंकर तिवारी चाहते थे. उनकी जमीन उनको वापस मिल जाए. इसके लिए उन्होंने मदद ली, हुजूर एसडीएम उस जमाने में पदस्थ रहे अनुराग तिवारी के रीडर बृजमोहन पटेल की. बाद में इस खेल में शामिल हो गया, वर्तमान रीडर मनीष अवस्थी. दोनों ने बखूबी पीठासीन अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर का फर्जीवाड़ा कर डाला. बात 29 जुलाई 2022 की है. समय बीतता गया, किसी को कानो कान खबर नहीं हुई. अब जब जमीन के नामांतरण की बात आई, तब फाइल पहुंची हुजूर एसडीएम शिव शंकर के पास, शिव शंकर रोज ही एसडीएम की फाइल देखा करते थे. उनके सिग्नेचर पहचानते थे.
जैसे ही उन्होंने इस फाइल पर नजर डाली उन्हें कुछ शंका हुई. उन्होंने अनुराग तिवारी के हस्ताक्षर चेक किया. जो उन्हें नकली लगे, इस बात को उन्होंने वर्तमान एसडीएम वैशाली जैन को बताया. दोनों का सोचना था, आखिर सरकारी जमीन को निजी क्यों किया जाएगा. खोजबीन प्रारंभ हुई, जिसके चलते रीडर से जब पूछताछ की गई तो, पूरे मामले का खुलासा हो गया. जिसके बाद रीवा जिले में ही पदस्थ अनुराग तिवारी को पूरे मामले से अवगत कराया गया. अनुराग तिवारी ने अपने हस्ताक्षर देखे, उन्होंने साफ तौर से इनकार किया यह उनके हस्ताक्षर नहीं है. जिसके चलते सिविल लाइन थाने पहुंच गए अनुराग तिवारी और मुकदमे को दर्ज करा दिया. रमाशंकर तिवारी, बृजमोहन पटेल और मनीष अवस्थी के खिलाफ. पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच प्रारंभ कर दी है. जांच के बाद इस खेल में रीडर और जमीन मालिक को क्या सजा मिलती है, यह बात देखने लायक होगी.
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