राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाकर सौंपा राष्ट्रपति को ज्ञापन
Rewa Today Desk – संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के राष्ट्रीय आवाहन पर आज रीवा के करहिया मंडी में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर सत्याग्रह किया। कार्यक्रम में किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाईं। इस दौरान, राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा गया।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर चिंता
हरियाणा-पंजाब के खनोरी बॉर्डर पर पिछले 28 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर किसानों में गहरी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद, केंद्र सरकार की अनदेखी और दमनकारी रवैया किसानों के आक्रोश का कारण बन रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब सीमा पर हो रहे संघर्ष को खत्म करने और जेल में बंद किसान नेताओं को रिहा करने की मांग की।
किसानों की प्रमुख मांगें
- राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को तुरंत वापस लिया जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा किया जाए।
- मध्य प्रदेश सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार धान की फसल का समर्थन मूल्य ₹3100 प्रति क्विंटल सुनिश्चित करे।
- जिले के धान खरीदी केंद्रों से धान का शीघ्र उठाव कराया जाए और किसानों को भुगतान में तेजी लाई जाए।
- धान खरीदी की समय सीमा बढ़ाई जाए।
सत्याग्रह का आयोजन
सत्याग्रह का नेतृत्व सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोतीलाल वर्मा ने किया। कार्यक्रम में किसान नेताओं और संगठनों ने करहिया मंडी स्थित आंदोलन स्थल की मिट्टी को नमन किया और आगामी आंदोलन की रणनीति तय की। राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाकर सरकार की नीतियों का विरोध दर्ज कराया गया।
ज्ञापन सौंपा गया
विरोध प्रदर्शन के बाद महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टर रीवा के माध्यम से नायब तहसीलदार को सौंपा गया। ज्ञापन में किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए सरकार से शीघ्र कार्रवाई की मांग की।
प्रमुख किसान संगठनों की भागीदारी
सत्याग्रह में कई किसान संगठनों ने हिस्सा लिया, जिनमें शामिल हैं:
मध्य प्रदेश किसान सभा
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)
अखिल भारतीय किसान सभा
शहीद राघवेंद्र सिंह किसान संघर्ष समिति
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ
जागृत किसान संगठन
बसोर समाज विकास संगठन
आगे की रणनीति
एसकेएम के संयोजकों ने कहा कि सरकार की उदासीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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