Rewa Today Desk : भारतीय जनता पार्टी BJP ने मध्य प्रदेश की अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है.आज बात की जाए जातिगत समीकरण की खास तौर से विंध्य प्रदेश के इलाके की, यहां पर चार लोकसभा की सीट हैं .रीवा ,सतना, सीधी और शहडोल इससे लगा हुआ इलाका है ,खजुराहो लोकसभा सीट का, दमोह लोकसभा सीट का, जबलपुर लोकसभा सीट का ,यहां भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी किसे बनाया है, उन नाम पर पहले गौर करिए, रीवा से जनार्दन मिश्रा पिछला दो चुनाव जीत चुके हैं .
सतना से गणेश सिंह कई बार सांसद रहे, ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा हैं.लेकिन पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे. सीधी से राजेश मिश्रा जिनका एक पत्र जमकर वायरल हो रहा है. शहडोल से हिमाद्री सिंह एस.टी कोटे का बड़ा चेहरा ,खजुराहो लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, जबलपुर से आशीष दुबे, दमोह से राहुल लोधी, इन सभी नामो में सामान्य वर्ग के प्रत्याशी पर नजर डाली जाए तो सभी प्रत्याशी एक ही वर्ग से आते हैं. इस लिस्ट को गौर से देखने पर एक बात सीधे-सीधे समझ में आती है, जातिगत समीकरण नहीं साध पाई बीजेपी, इस इलाके में आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है.
फिर भला प्रत्याशी कोई भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जिन इलाकों में विपक्षी मजबूत है, वहां पर हार जीत का पैमाना अन्य बातों पर भी निर्भर करता है, यह भारतीय जनता पार्टी को सोचना होगा. ठाकुर, बनिया बिरादरी का एक भी प्रत्याशी नहीं है उनकी लिस्ट में .इस इलाके पर आमतौर से किसी जमाने में राजशाही हावी रही, बदलते वक्त के साथ राजशाही खत्म हो गई ,लेकिन उनके प्रभाव बरकरार रहे, राज परिवार के लोग मतदान के जरिए चुनकर लोकसभा और विधानसभा में जाते रहे,फिर चाहे वह रीवा राज घराना हो या फिर नागौद या फिर चोरहट इनका दबदबा हमेशा रहा है.इनका एक वोट बैक आज भी बरकरार है.वहीं दूसरी ओर वैश्य समाज जिसे बनिया समाज भी कहा जाता है, भारतीय जनता पार्टी को अपनी पार्टी माना करता था .लेकिन उस समाज का एक भी प्रतिनिधि निकट भविष्य में लोकसभा में नजर नहीं आएगा, खास तौर से इस इलाके की बात की जाए तो ,अगर कांग्रेस ने इन बातों पर नजर रखी और उसने प्रत्याशी चयन में जातिगत समीकरणो पर ध्यान रखा तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी विंध्य के इलाके में 19 दौहरा पाएगी इस पर जरूर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाएगा.
फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर प्रत्याशी आमतौर पर वही पुराने चेहरे हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में भारी मतों से चुनाव जीता था. लेकिन इस बार पुराना करिश्मा दोहराया जाएगा ,यह कह पाना जल्दबाजी होगी, क्योंकि पिछले कई बार से चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों के बारे में जनता बहुत कुछ जानने समझने लगती है .प्रधानमंत्री के करिश्माई चेहरे के अलावा प्रत्याशियों का भी पिछला कामकाज उनको वोट दिलवाता है, और वोट कटवाता भी है. फिलहाल बीजेपी बहुत मजबूत है, फिर भी सवाल तो खड़ा होता है ,जातिगत समीकरण सामान्य सीटों पर किस तरीके से होगा यह मायने रखता है ठाकुर और वैश्य समाज सहित सामान्य वर्ग के लोग बांटे गए टिकटो पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
उनका कहना है क्या हम चुनाव नहीं लड़ सकते, अगर विपक्षी पार्टियों ने इस और ध्यान दे दिया तो निश्चित रूप से 24 का लोकसभा चुनाव विंध्य प्रदेश में कांटे का नजर आएगा, इसमें कोई शक नहीं भारतीय जनता पार्टी मानकर चल रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्माई चेहरा अयोध्या में रामलाल का भव्य मंदिर उसे आसानी से 400 के पार पहुंचा देगा, क्या प्रत्याशी का चेहरा बिल्कुल मायने नहीं रखता, इस सवाल को भारतीय जनता पार्टी अति आत्मविश्वास के चलते नजरअंदाज कर रही है, इस बात का खामियाजा उसको भोगना भी पड़ सकता है, अगर ऐसा हो गया तो अबकी बार 400 पार का नारा पूरा होता शायद ही नजर आए.
Leave a comment