Rewa Today Desk :भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव खेला था. भारतीय जनता पार्टी ने सबको चौंकाते हुए अपने सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार कर राजनीतिक पंडित विश्लेशको को हैरान कर दिया था. जिसमें पांच सांसद तो चुनाव जीत गए, मंडला के सांसद फगन सिंह कुलस्ते और सतना के सांसद गणेश सिंह चुनाव हार गए. वहीं शिवराज सरकार में कई मंत्री भी चुनाव हारे. सबसे प्रमुख नाम नरोत्तम मिश्रा का लिया जा सकता है. प्रदेश का बड़ा ब्राह्मण चेहरा कम मतों से चुनाव हार गया. राजनीतिक गलियारो में अब इसी की चर्चा है क्या होगा इनका. आगामी आने वाले लोकसभा चुनाव में क्या होगी उनकी भूमिका.
चुनाव हारे दोनों सांसद पिछड़े और आदिवासी वर्ग में गहरी पेंठ रखने वाले मंडल के सांसद फगन सिंह कुलस्ते आदिवासी वर्ग का बड़ा चेहरा, मंडला सहित कई इलाकों में काफी असर, एक बड़ा वोट बैंक भी माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर सतना सांसद गणेश सिंह पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा सतना और उसके आसपास पटेल वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले गणेश सिंह विधानसभा चुनाव हारे, भारतीय जनता पार्टी इनका इस्तेमाल क्या करेगी. कहां करेगी राजनीतिक गलियारो में यह सवाल तेजी से गूंज रहा है. वही शिवराज सरकार में गृहमंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा कम मतों से चुनाव हार गए. प्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी. तीनों लोगों का क्या होगा. क्या इन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा. इसी को लेकर चर्चाओं का दौरा तेज हो गया है.
भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में चौंकाने वाले निर्णय ले रही भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जिस तरीके से चौंकाने वाले निर्णय लिए, मुख्यमंत्री पद से मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की विदाई की. राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया की जगह नया चेहरा आ गया ,कुछ ऐसा ही हुआ छत्तीसगढ़ में, किसी ने नहीं सोचा था ऐसे चेहरे मुख्यमंत्री के तौर पर भारतीय जनता पार्टी दे देगी. वहीं दूसरी और केंद्र में मंत्री रहे प्रदेश की राजनीति करेंगे. कोई विधानसभा अध्यक्ष बनेगा, तो कोई केंद्रीय मंत्री की जगह प्रदेश में कैबिनेट मंत्री नजर आएगा. तमाम चौंकाने वाले निर्णय, ऐसे में चुनाव हारे बड़े नेताओं का क्या होगा, लोकसभा चुनाव में क्या होगी उनकी भूमिका, अटकलें का दौर जारी है. पिछले दिनों की बात की जाए तो किसी ने नहीं सोचा था कैलाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय नजर आएंगे, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल प्रदेश में भेज दिए जाएंगे. यह वह नाम है, जो मध्य प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा हुआ करते थे, केंद्रीय नेतृत्व ने इनको प्रदेश में भेजा है, इसका सीधा सा अर्थ है लोकसभा चुनाव में इनकी कोई भूमिका नहीं होगी, सिवा अपने इलाके के प्रत्याशी को जिताने के जिसे भी उम्मीदवार बनाया जाएगा.
कई चेहरे बदल जाएंगे लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की राजनीति में नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं. भारतीय जनता पार्टी बदलाव के दौर पर गुजर रही है. जिसका असर हाल ही में विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में नजर आया है. निकट भविष्य में लोकसभा चुनाव में भी बहुत से चेहरे बदल दिए जाएंगे. प्रदेश की राजनीति में ऐसा कोई भी चेहरा नहीं है, जिसको प्रधानमंत्री मोदी की चुनाव जीतने वाली छवि की जरूरत ना हो. साफ तौर से माना जा सकता है, भारतीय जनता पार्टी मानकर चल रही है, वह जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी, प्रधानमंत्री मोदी की छवि उसको आसानी से लोकसभा में भेज देगी. जिसके चलते आपको कुछ ऐसे निर्णय भी दिखाई देंगे, जिसके बारे में किसी ने भी कल्पना भी नहीं की होगी. जैसा की प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने विधानसभा में दिखाया भी है.
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