Rewa Today Desk : 24 दिसंबर को भारत में एक खास महत्व दिया जाता है। यह दिन “अमरूद दिवस” के रूप में मनाया जाता है, जहां देश के सबसे लोकप्रिय फलों में से एक अमरूद को केंद्रित किया जाता है। इस खास मौके पर रीवा स्थित फल अनुसंधान केंद्र, कुठुलिया ने अमरूद दिवस का आयोजन किया।
अमरूद की 70 से अधिक वैरायटी का केंद्र
रीवा के कुठुलिया अनुसंधान केंद्र में 70 से ज्यादा अमरूद की किस्में विकसित की गई हैं। इस कार्यक्रम में लखनऊ से प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. के.के. श्रीवास्तव और रीवा केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. तपन कुमार सिंह जैसे कई प्रतिष्ठित लोगों ने शिरकत की।
किसानों के लिए नई उम्मीदें
यह अनुसंधान केंद्र कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाले अमरूद की प्रजातियों पर काम कर रहा है। इन प्रजातियों से न केवल किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि रीवा के अमरूद, खासतौर पर इलाहाबादी सफेदा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी अपनी अलग पहचान बना रहे हैं।
सफेदा अमरूद: किसानों की पहली पसंद
उत्पादन क्षमता: सफेदा अमरूद को 6×6 मीटर की दूरी पर लगाए जाने पर प्रति हेक्टेयर 276 पौधे उगाए जा सकते हैं।
प्रोडक्शन: पहले साल में ही 17-18 टन का उत्पादन संभव है।
मुनाफा: किसान प्रति टन लगभग ₹25,000 की कमाई करते हैं, जिससे एक हेक्टेयर में कुल ₹5 लाख तक की आय हो सकती है।
मिठास और भंडारण: सफेदा अमरूद का टीएसएफ (टोटल सॉल्यूबल सॉलिड्स) 12-13% है और इसे 5-6 दिनों तक ताजा रखा जा सकता है।
धारीदार अमरूद: आकर्षक और स्वादिष्ट
रंग और बनावट: इसका धारीदार रंग बेहद आकर्षक होता है।
बीज और वजन: बीज मुलायम होते हैं और वजन 200-350 ग्राम तक होता है।
भंडारण: इसे 4-5 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
टीएसएफ: इसकी मिठास का स्तर 10-12% तक होता है।
अन्य प्रमुख किस्में
कुठुलिया अनुसंधान केंद्र ने कई अनोखी प्रजातियों का विकास किया है, जैसे:
मिर्जापुर सीडलेस, नासिक, हप्सी, स्मूथ ग्रीन, श्वेता धवल, पंजाब सफेदा, बर्फ खाना, ललित धवल, सुर्खी, अनकापल्ली, ब्लैक जाम, और करेला।
नवाचार से किसानों की तरक्की
यह केंद्र दो प्रजातियों के मेल से नई किस्में विकसित करता है, जो स्थानीय जलवायु में ज्यादा उत्पादन देने और उच्च गुणवत्ता वाले फलों की पेशकश करने में सक्षम होती हैं।
रीवा का अमरूद: देशभर में खास पहचान
रीवा का यह अनुसंधान केंद्र न केवल किसानों को बेहतर आय का साधन दे रहा है, बल्कि कृषि के क्षेत्र में नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है। अमरूद की नई किस्मों से किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा रहे हैं और देश के अन्य हिस्सों तक रीवा की मिठास पहुंचा रहे हैं।
तो आइए, इस अमरूद दिवस पर रीवा के वैज्ञानिकों और किसानों के प्रयासों को सलाम करें और इस फल की लोकप्रियता को और बढ़ाएं।
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