Rewa Today Desk : मध्य प्रदेश की बात की जाए तो यहां पर चुनाव 17 नवंबर को हो गए, उत्तर प्रदेश से लगा हुआ इलाका है, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार लेकिन डीजल पेट्रोल के दाम में काफी अंतर, बड़ा सवाल यही है आखिर इतना बड़ा अंतर क्यों.
राजस्थान में पेट्रोल के दाम याद आए
राजस्थान की बात की जाए तो यहां पर 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होना है. भारतीय जनता पार्टी हर हालत में इस बार चुनाव जीतना चाहती है वैसे भी राजस्थान का नियम रहा है, हर 5 साल में सरकार बदल देना, यह नियम भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है .उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी कोई भी मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती. अब उसने डीजल पेट्रोल के दामों को मुद्दा बनाने की कोशिश की है.
11.80 रुपए सस्ता होगा पेट्रोल डीजल कहा केंद्रीय मंत्री ने
25 नवंबर को राजस्थान में चुनाव होंगे. चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने जयपुर में डीजल पेट्रोल के दम पर बोलते हुए कहा हम राजस्थान में पेट्रोल की कीमत देश के बाकी हिस्सों के बराबर लाने के लिए काम करेंगे. हरदीप पुरी का कहना था, राज्य में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए अतिरिक्त उपकार के कारण राजस्थान में पेट्रोल की कीमत देश में सबसे ज्यादा है. राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त शुल्क से 35975 करोड रुपए जुटे हैं. यह एक भारी भरकम रकम है.
पेट्रोलियम मंत्री को यह बात मध्य प्रदेश में नहीं याद आई
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी को मध्य प्रदेश में डीजल और पेट्रोल के दाम नहीं दिखाई दिए. जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए पेट्रोल पंप आज बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं .यहां पर कोई भी पेट्रोल नहीं भरवाने आता है,ना ही डीजल लेने आता है. चाहे किसान हो या फिर ट्रैक या बस मालिक, सब के सब उत्तर प्रदेश चले जाते हैं. आखिर क्यों मध्य प्रदेश की सीमा से लगे हुए चंद कदम की दूरी पर बने पेट्रोल पंप में 24 घंटे भारी भीड़ होती है. वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के पेट्रोल पंप में सन्नाटा होता है, इसकी केवल और केवल एकमात्र वजह है. उत्तर प्रदेश में डीजल और पेट्रोल के दाम मध्य प्रदेश से काफी कम है .आखिर केंद्र सरकार का ध्यान इस और कब जाएगा. पूरे देश में कब डीजल और पेट्रोल एक भाव में मिलेगा. एक दाम होगा, पूरे देश में सभी राजनीतिक पार्टियों अपने-अपने हिसाब से एजेंडा तय करने के बाद उन्हें एजेंडा पर अपनी विरोधी सरकारों को घेरने का काम करती हैं. जनता की और उनका ध्यान कब जाएगा सवाल यही है.
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