आपस में भिड़ रहे दो राजेंद्र, एक बता रहे- हुआ पर्याप्त विकास, दूसरे कह रहे – लापता है विकास
Rewa Today Desk :भाजपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों ने जनसंपर्क में झोंकी ताकत, घूम रहे गली गली
भाजपा वाले बता रहे रीवा बन गया महानगर, कांग्रेस वाले कह रहे सीमेंट की दीवाल से नहीं बनता महानगर कहीं भी बिल्डिंग बना दी. विकास यह नहीं होता विकास क्या होता है यह हम बताएंगे.
रीवा फंस गया विकास में
जिले की रीवा विधानसभा का चुनाव भी अब रोचक मोड़ पर जाता दिखाई दे रहा है। शुरुआती दौर में भाजपा के लोग इसलिए प्रसन्न थे कि कांग्रेस ने राजेंद्र शर्मा को टिकट दी। भाजपाइयों का मानना था कि कांग्रेस के इंजी. राजेंद्र शर्मा पर भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर राजेंद्र शुक्ला भारी पड़ेंगे लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे यह दिखाई दे रहा है कि भाजपा के लिए राह उतनी आसान नहीं है. जितना भाजपाई शुरू में मान रहे थे।
दरअसल सच्चाई यह है कि वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे राजेंद्र शुक्ला को अंतिम दौर में काफी मेहनत करनी पड़ गई थी, इसलिए वह 5 साल लगातार क्षेत्र में ही रहे और लोगों से उनका संपर्क क्रमशः बना रहा। इसलिए श्री शुक्ला और उनके समर्थकों का मानना था कि इस बार का चुनाव आसान रहेगा वहीं संयोग से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार इंजी राजेंद्र शर्मा को बनाया। श्री शर्मा को टिकट मिलने पर भाजपा के लोगों ने खुशी जताई थी कि अब बाकओवर मिल जाएगा, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है भाजपा को यह लगने लगा है कि मेहनत और तेज से करनी पड़ेगी। लगातार बड़े नेताओं के दौरे भी हो चुके हैं। वहीं अब भाजपा के नेताओं को सक्रियता बढ़ानी पड़ रही है। भाजपा समर्थकों का मानना है कि उनके मुन्ना भैया यानी कि राजेंद्र शुक्ला पहली बार 65000 से जीते थे तो दूसरी बार 30000 से, सरकार ने काम भी बहुत अच्छा किया है लाडली बहना उनके साथ है, इसलिए हर जीत का अंतर यही रहेगा। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे स्थितियां बदलती दिखने लगी है। उधर कांग्रेस भी लगातार हमलावर है. और भारतीय जनता पार्टी की कई कमियों को जनता के बीच उजागर करने में जुट गई है। कांग्रेस के प्रचार अभियान का मुख्य जिम्मा एक और जहां महापौर अजय मिश्रा बाबा ने ले रखा है, वहीं दूसरे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और संगठन समन्वयक गुरमीत सिंह मंगू ने डैमेज कंट्रोल के लिए पूरी ताकत लगा दी और उसका फायदा कांग्रेस को मिलता हुआ दिखाई देने लगा है।
विकास को लेकर रार भाजपा-कांग्रेस में बड़ी तकरार
वर्ष 2023 के चुनाव में विकास हुआ और विकास नहीं हुआ यही मुद्दा दिखाई दे रहा है। भाजपा प्रत्याशी पिछले 15 सालों में हुए विकास को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं और यह कह रहे हैं कि 2003 के पहले का रीवा और आज के रीवा को देखते हुए इस बार जनता को फैसला लेना है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लोग यह कह रहे हैं कि विकास है कहां। जहां तक विकास पहुंचना चाहिए वहां विकास पहुंच ही नहीं। गलियों और दलित बस्तियों की हालत जस की तस बनी हुई है। कांग्रेस के लोग आरोप लगाते हुए कहते हैं कि केवल पूंजी पत्तियों का विकास हुआ, बड़े-बड़े मॉल बना रहे हैं तो वहां जाएगा कौन? क्या किसी गरीब की भी एंट्री हो पाएगी। जबकि इसके विपरीत भाजपा का कहना है कि हमने रीवा को महानगर बना दिया। रीवा में हवाई जहाज ला दिया। विकास की एक लंबी लिस्ट बना रहे हैं कांग्रेस उसके ऑपोजिट अपनी बातें कह रही है। कुल मिलाकर विकास होने और विकास न होने का ही मुद्दा दोनों के बीच चल रहा है।
हर चुनाव का हीरो सबसे बड़ा मुद्दा समदड़िया हो गए आउट शहर में जमीन ही नहीं बची
वर्ष 2018 के चुनाव में समदड़िया बिल्डर का मामला खासा चर्चाओं में रहा। कांग्रेस ने इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और अच्छे खासे वोट भी मिल गए थे। लेकिन इस बार कांग्रेस के लोग समदड़िया को भूल गए। कहीं-कहीं जिक्र हो जाता है लेकिन न के बराबर। कांग्रेस ने मुद्दा यह बनाया है कि शहर की बेस कीमती जमीनें खत्म कर दी गई है अब शहर में जमीन ही नहीं बची। आरोप और प्रत्यारोप का दौर तेजी से चल रहा है। कुल मिलाकर समदड़िया इस चुनावी माहौल से आउट हो चुके हैं और सुकून की सांस ले रहे हैं।
आप किसे देगी झटका ?
सामान्य तौर पर जन सामान्य के बीच यह चर्चा है कि मुकाबला इस बार भी देखने को मिल सकता है, अंतिम अंतिम दौर में भाजपा कांग्रेस नेताओं की परेशानियां बढ़ेगी और दोनों अपनी जीत के लिए पूरी ताकत लगाएंगे। लेकिन इस बीच आम आदमी पार्टी की भी एंट्री है और कहा यह जा रहा है कि दोनों के बीच आप प्रत्याशी द्वारा लंबी सेंध लगाई जा रही है, कहा तो यह जाता है कि इसका नुकसान भाजपा को कुछ ज्यादा हो सकता है। अब लोग यह कयास लगाने में जुट गए हैं कि ज्यादा नुकसान भाजपा को हो सकता है। वही आम आदमी पार्टी का भी जनसंपर्क अभियान दिखने लगा है।
बीएसपी भी नजर आने लगी है
अभी तक रीवा में बीएसपी का प्रत्याशी मुस्लिम समाज से होता था माना जाता था कांग्रेस का वोट बीएसपी प्रत्याशी काटता है. जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिलता था लेकिन इस बार बीएसपी ने मधुमास सोनी को मैदान में उतारकर कुछ नए समीकरण बना दिए हैं. किसका वोट काटेंगे मधुमास रीवा शहर में इस बात की चर्चा काफी तेजी से है.
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