प्रोफेसर अखिलेश शुक्ल
भारत सरकार द्वारा पंत एवं भारतेंदु हरिश्चंद्र अवार्ड से सम्मानित वर्तमान समय में
शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय रीवा मध्यप्रदेश में पदस्थ हैं जिन्होंने ढेरों पुस्तकें लिखी हैं भारत सरकार द्वारा कई पुरस्कारों से नवाजा भी गया है उनकी नजर में लक्ष्मीबाई में क्या था खास जानिए
भारत में देसी रियासतों के लोगों ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए अपने राज्य के नरेश के साथ ही अंग्रेजी सेना तथा प्रशासन की भयंकर प्रताड़ना को सहा 1857 से लेकर भारत की आजादी तक लाखों युवा शहीद हुए। सन 1857 में अमर शहीद बहादुर शाह जफर और मंगल पांडे के आह्वान पर रोटी तथा कमल के प्रतीक के माध्यम से आजादी के संघर्ष का गांव गांव में बिगुल बज गया था। इस युद्ध में वर्तमान मध्य प्रदेश की जनता के साथ वीरांगना लक्ष्मीबाई ग्वालियर में शहीद हुई तो छत्तीसगढ़ में अवंतीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए तात्या टोपे ने पचमढ़ी में अपना केंद्र बनाकर विंध्य से सतपुड़ा तक अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए महारानी लक्ष्मीबाई के साथ विजयराघवगढ़ के नरेश ने मिलकर अंग्रेजों से सीधे टक्कर ली जिससे उनके समस्त परिवार का वध कर दिया गया और उनके राज्य को तहस-नहस कर दिया गया। विंध्यांचल में ठाकुर रणमत सिंह,लाल श्याम शाह एवं उनके साथियों ने विभिन्न स्थानों में अंग्रेजों से लोहा लिया। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति की सबसे बड़ी नायिका और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम वीरता और बलिदान की श्रेणी में सबसे उपर रखा जाता है। रानी लक्ष्मी बाई का व्यक्तित्व आज सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। आज इस वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महान नायिका का बलिदान दिवस है। रानी लक्ष्मी बाई ग्वालियर में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ती हुई शहीद हुईं थी। भारत के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अपने देश प्रेम से पूरे देश को आजादी के लिए प्रेरित किया। जिसका सुखद परिणाम आज सबके सामने है हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं अंग्रेज देश छोड़कर जा चुके हैं
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