Rewa Today Desk । प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल के गृह क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। संजीवन अस्पताल एवं चेस्ट केयर, जो बिना पंजीयन और रजिस्ट्रेशन के बीच शहर में संचालित हो रहा था, को प्रशासन ने सील कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, अस्पताल के संचालकों ने न तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कार्यालय में पंजीयन के लिए आवेदन किया था, न ही चिकित्सक, नर्स, लैब टेक्नीशियन या फार्मासिस्ट की जानकारी दी थी। बावजूद इसके, यहां मरीजों का इलाज, दवाइयों का वितरण और लैब जांच जारी थी।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि अस्पताल का संचालन डॉ. मुकेश तिवारी द्वारा किया जा रहा था, जो संजय गांधी अस्पताल में टीवी रोग विशेषज्ञ के पद पर पदस्थ हैं। सरकारी डॉक्टर होने के बावजूद वे निजी अस्पताल चला रहे थे, जो नियमों का उल्लंघन है।
छिंदवाड़ा में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्त हो गया है। उसी के तहत रीवा में CMHO संजीव शुक्ला की टीम ने नर्सिंग होम की जांच शुरू की थी। पहले ही दिन यह बड़ा मामला सामने आया।
टीम जब मौके पर पहुंची, तो देखा गया कि संजीवन अस्पताल में मरीजों की जांच और इलाज चल रहा था। यहां दवा वितरण भी बिना फार्मासिस्ट के हो रहा था। इस पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने अस्पताल को तत्काल सील कर दिया।
CMHO कार्यालय ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है और 14 अक्टूबर तक सभी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। नोटिस में रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन अधिनियम 1973 और नियम 1997 के नियम 17 का उल्लंघन बताया गया है।
एसडीएम अनुराग तिवारी ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
“बिना अनुमति अस्पताल चलाना गंभीर अपराध है। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” — अनुराग तिवारी, एसडीएम रीवा
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