Rewa Today desk :रीवा के “राधेश्याम शिवकुमारी आश्रम” अजगरहा में इन दिनों भक्ति की बयार बह रही है. इलाके के लोग नियमित रूप से एकत्र होकर श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मैं डूबे हुए हैं. श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे कथा वाचक शैलेंद्र महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत के रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि राम जन्म एवं कृष्ण जन्म की कथा मे कलयुग में भागवत की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी जन्मों के पापों का नाश होता है। राम जन्म एवं कृष्ण जन्म व बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला।
यह भी बताया कि 84 लाख की योनियों में भटकने के पश्चात मानव शरीर की प्राप्ति होती है। जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब तक प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब रावण का अत्याचार बढ़ा तब राम का जन्म हुआ । जब कंस ने सारी मर्यादाऐं तोड़ी तो प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ। कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा एक ऐसी कथा है, जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है। भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है। उन्होंने कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी।
तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। महराज श्री ने भागवत कथा में चौथे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव वर्णन किया। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख में भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं।आचार्य श्री ने संतो के संबंध में कहा है कि संत का परिचय संत का भेष नहीं होता है। उनका तो मुख्य भेष उनका गुण होता है। आज के समय में कई बहुरूपिया संत भी चोला धारण कर विचरण कर रहे हैं। लेकिन महराज श्री ने संत के 6 गुण बताएं। जिसमें उन्होंने कहा कि संत में सहनशीलता, करुणा, सबको अपना मानना, किसी से शत्रुता ना रखना, निष्कामता एवं परोपकारी होना ही संत की असली पहचान है।
महराज श्री ने कहा जब भी आप किसी संत या महात्मा से मिले तो इन 6 गुणों के माध्यम से उसकी पहचान कर सकते हैं। संत की पहचान होना आवश्यक है क्योंकि वही तो आपका मार्गदर्शन करते है। महराज श्री ने कहा कि कई बार कहा जाता है कि ” पानी पियो छान के, गुरु करो जांच के” क्योंकि सच्चा गुरु ही आपको सदमार्ग और ईश्वर से प्रेम करना सिखा सकता है। श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है। श्रीमद्भागवत की कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण होता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है। भागवत कथा के आयोजन से श्रद्धालुओं में खुशी का माहौल है। मुख्य यजमान- कथा सुनने के लिए आस पास के लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है ।
यह रहे मौजूद
भागवत कथा श्रद्धा तथा प्रेम भाव से इलाके के लोग इस समय सुन रहे हैं, जिसमें प्रमुख रूप से यह लोग उपस्थित रहे. रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी, मुख्य श्रोता उमेश पाण्डेय-ममता पाण्डेय, राकेश पाण्डेय- सरोज पाण्डेय, बृजेश पाण्डेय- रीता पाण्डेय, मुनि प्रसाद शुक्ला, ज्ञानेंद्र शुक्ला, सतीश पाण्डेय, राम जी, श्याम जी, बलदाऊ, कृष्ण जी(कंचू), निशा ,स्वरित पाण्डेय, स्वस्तिक पाण्डेय, शिवानी पाण्डेय , परी पाण्डेय, देव पाण्डेय, विवेक, सागर, विनायक पांडेय, गणेश पांडेय, महेश पांडेय, जुगरेश पाण्डेय, कमलेश पाण्डेय, सन्तोष पाण्डेय, हेमन्त शर्मा सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक, अनुपमा शर्मा, पत्रकार सुशील चतुर्वेदी,अनुज परोहा, संकल्प परोहा लालता प्रसाद द्विवेदी, सुदीप द्विवेदी, केशव अग्निहोत्री,सुधीर तिवारी, वरुण, अरुण, पुष्पेंद्र, शुसील मिश्रा, बाबूलाल मिश्रा, जगमोहन सिंह पूर्व सरपंच अजगरहा, छत्रपाल सिंह पूर्व सरपंच अजगरहा, सतेन्द्र द्विवेदी जी, रामसुंदर द्विवेदी, सुभाष बाबू पाण्डेय अध्यक्ष मानस मंडल रीवा, प्रद्युमन प्रसाद द्विवेदी, दिवाकर मिश्रा सरपंच टिकुरी, आदि।
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