Rewa News: प्रदेश में बच्चों की मौत को लेकर नया आंकड़ा जारी जिसमें रीवा संभाग के 9 जिलों में करीब दो हजार (1992) बच्चों की मौत हो चुकी है। सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने पिछले एक साल में बच्चों की मौत के जिलेवार आंकड़े जारी किए, जिसके मुताबिक रीवा में 545, सतना में 431, शहडोल में 378, सीधी में 238, सिंगरौली में 154, उमरिया में 134 और अनूपपुर में 112 बच्चों की मौत हुई है। इनमें 28 दिन, एक साल और एक से पांच साल के बच्चे शामिल हैं।
इन सभी की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान कुपोषण, बीमारी या अन्य किसी कारण से हुई है। डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों की मौत अत्यधिक बीमार होने के कारण हुई है। जागरूकता के लिए गठित विभाग क्या कर रहा है? सरकार को इन पर नकेल कसनी चाहिए। अगर अस्पताल में आने के बाद इतने बच्चे मरते हैं तो अस्पतालों के प्रबंधन और डॉक्टरों को भी अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए।
शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने में पहले से ही कमजोर राज्यों में शुमार मध्य प्रदेश में यदि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे मरते रहेंगे तो मृत्यु दर के ग्राफ को नीचे लाना कैसे संभव होगा। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ वास्तव में नवजात शिशुओं तक नहीं पहुंच रहा है। बच्चे कमजोर पैदा हो रहे हैं। यदि वे कुपोषण के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं तो इसका साफ मतलब है।
कि गर्भवती महिलाओं के पोषण आहार में सूखा राशन, आंगनबाड़ी केंद्रों में हर मंगलवार को ताजा भोजन, रक्त और आयरन की कमी को दूर करने के लिए कैल्शियम और आयरन की गोलियों का वितरण करने की व्यवस्था चरमराई हुई है। कलेक्टर प्रतिभा पाल का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार रीवा में शिशु मृत्यु दर अधिक है। इसके कारणों का पता लगाया जाएगा। आगे से इस पर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। ताकि इस संख्या को कम किया जा सके।
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